ट्रंप प्रशासन के 50% आयात शुल्क के फैसले ने भारत में “स्वदेशी” आंदोलन को और तेज़ किया – सड़क से लेकर यूनिवर्सिटी कैंपस तक उठ रही है विदेशी ब्रांडों के बहिष्कार की आवाज़।
भारत–अमेरिका व्यापार संबंध इन दिनों तनाव के दौर से गुज़र रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इस कदम के बाद भारत में अमेरिकी ब्रांड्स के खिलाफ माहौल गरमाने लगा है।
योगगुरु और पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव ने इस फैसले को सीधा “आर्थिक गुंडागर्दी” करार देते हुए लोगों से अपील की है कि वे Pepsi, Coca-Cola, McDonald’s, KFC और Subway जैसी अमेरिकी कंपनियों का बहिष्कार करें। उनका कहना है कि यदि भारतीय उपभोक्ता इन उत्पादों का उपयोग बंद कर दें, तो इसका असर सीधे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
इसी कड़ी में स्वदेशी जागरण मंच और कई राष्ट्रवादी संगठन भी सोशल मीडिया व सड़कों पर “अमेरिकी उत्पाद छोड़ो, भारतीय अपनाओ” जैसे नारे लगाकर बहिष्कार अभियान चला रहे हैं।
🎓 शिक्षा संस्थानों में भी असर
पंजाब की Lovely Professional University (LPU) ने अपने कैंपस में Pepsi और Coca-Cola पर बैन लगाने का निर्णय लिया है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन का कहना है कि यह एक प्रतीकात्मक कदम है, ताकि छात्र स्थानीय विकल्पों को अपनाने के लिए प्रेरित हों।
🔎 मानवीय दृष्टिकोण
इस व्यापारिक विवाद का असर आम लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर भी दिख रहा है। जहां कई युवा McDonald’s या Coke-Pepsi का आनंद लिया करते थे, वहीं अब वे स्थानीय ब्रांड्स की ओर रुख कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी कई लोग लिख रहे हैं—“विदेशी उत्पादों पर हमारी निर्भरता अब साफ नज़र आ रही है।”
